गोडसे बनाम अनाम
यहां हमारे सामने दो पात्र हैं जो भारत के ऐसे दो हस्ताक्षरों से सरोकार रखते हैं जिनके न रह जाने पर उस समय भारत की दिशा और दशा बदल गयी थी। आज दुर्भाग्यवश देश इनको कुछ इस तरह से जानता है- पहला, नाथूराम गोडसे जिसे कथित प्रगतिशील और सेकुलर जमात एक हिन्दू हत्यारा के रूप में व्याख्यायित करती है जिसने प्रार्थना करते समय असंतोषवश महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। यद्यपि गोडसे हत्या के समय सिर्फ गोडसे ही था, हिन्दू विशेष नहीं; और आज भी लोग उसे गोडसे के रूप में ही जानते हैं। वहीं गोडसे के बरक्स यहां पर जो दूसरा पात्र है वो अनाम है। वो महान पत्रकार और तत्कालीन संयुक्त प्रान्त की कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश शंकर विद्यार्थी का हत्यारा है। वही प्रगतिशील लोग विद्यार्थी जी की हत्या को सांप्रदायिक दंगे का परिणाम कहते हैं। यद्यपि तब से लेकर अब तक उनके इस हत्यारे को लोग सिर्फ और सिर्फ इसी परिचय से जानते हैं कि वो एक मुसलमान था जिसने गणेशजी को अकारण ही बिना किसी वाद या विचार के ही कारसेवा सेवा करते हिये उन्हें मौत के घाट उतार दिया... https://amitiimc.blogspot.com/2017/09/blog-post.html
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