जब अटल बिहारी वाजपेयी ने कविता से दिया 'हिंदू मेरा परिचय'

 नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:Aug 16, 2018, 06:39PM IST

नई दिल्ली 
देश के लोकप्रिय नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। पूरा देश उन्हें अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहा है। एक प्रखर वक्ता, कवि, पत्रकार, राजनेता, देश में अलग-अलग विचारधाराओं वाली पार्टियों को साथ लेकर चलनेवाले अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बहुआयामी था।


यह उनके बोलने का अंदाज और सारगर्भित भाषण की कला का जादू था कि उनकी अपनी पार्टी के लोग ही नहीं विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। वह अक्सर अपने दिल की बातों को कविताओं के जरिए जाहिर करते थे। ऐसी ही एक कविता के जरिए उन्होंने खुद के हिंदू होने का परिचय दिया था। उनकी मशहूर कविता 'हिंदू तन-मन' कुछ इस प्रकार है- 

हिंदू तन–मन, हिंदू जीवन, रग–रग हिंदू मेरा परिचय! 

मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार–क्षार। 
डमरू की वह प्रलय–ध्वनि हूं, जिसमें नचता भीषण संहार। 
रणचंडी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का उन्मत्त हास। 
मैं यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुआंधार। 
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती में आग लगा दूं मैं। 
यदि धधक उठे जल, थल, अंबर, जड़ चेतन तो कैसा विस्मय? 
हिंदू तन–मन, हिंदू जीवन, रग–रग हिंदू मेरा परिचय! ... https://navbharattimes.indiatimes.com/india/when-atal-bihari-vajpayee-said-about-his-hindu-identity-through-a-poem/articleshow/65425499.cms 
यहां सुनें अटल की आवाज में यह कविता-

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